रविवार, 23 मार्च 2008


वैलेंटाइन डे सवाल
प्यार को जाहिर करने का दिन, एक खूबसूरत एहसास। क्या इस दिन का विरोध करना चाहिए अगार हाँ तो क्यों न तो क्यों ?सितारों के आगे जहाँ और भी हैं अभी इश्क के इम्तिहान और भी हैं।मजबूर मोहब्बत का ये फ़सानायहमोहब्बत का दुश्मन जमाना हैबस किस्मत के आगे मजबूर हैं दोनों बस पा नही सकते सामने मोहब्बत का खजाना है
Posted by mera aasman at 2:05 AM 2 comments

आई आई एम् सी के हिन्दी पत्रकारिता के स्टूडेंट्स ने प्रगति मैदान में लगे पुस्तक मेले में जाकर जमकर धमाल मचाया। भाई साथ घूमने का मौका जो मिला था। सारे रस्ते गाना अन्ताक्षरी चली लेकिन जैसे ही प्रगति मैदान पहुंचे तो खो गए किताबों की दुनिया में। लेकिन ये छबीस बच्चों का jhund आम दर्शकों से कुछ अलग dikhayi दे रहा था। भाई dikhayi भी क्यों न दे haathon में camera और कलम जो था। सभी ने मस्ती करने के साथ साथ सारे मेले को एक patrakaar की नज़र से भी देखा। ख़ास बात ये थी की सारे मेले में हिन्दी english का sahitya, बच्चों की किताबें, धर्म की किताबें आदि थी लेकिन मेले का khas aakarshan था russia polland pakistan afganistan bangladesh के बुक stall.

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